Sunday, November 30, 2008

आओ इस्तीफ़ा- इस्तीफ़ा खेलें

केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफ़े के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, गृह राज्य मंत्री आर. आर. पाटिल और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह्कार एम के नारायणन के इस्तीफ़े की मांग होने लगी है। हर बार भारत में हुए आंतकी हमले के बाद विपक्षी पार्टियाँ मंत्रियों के इस्तीफ़े की मांग करती हैं। कभी-कभी मंत्री जी दबाव में आकर नैतिक ज़िम्मेदारी का बहाना बना कर अपनी कुर्सी त्याग देते हैं पर आतंक का यह तांडव तो रोके नहीं रुकता।
हमारे नेताओं को घटिया राजनीति से फ़ुर्सत मिले तो देश और देशवासियों के बारे में सोचें। अब ये फ़ैसला जनता को करना कि उन्हें इस इस्तीफ़े के खेल से संतुष्ट होना है या आतंकवाद के खिलाफ़ किसी ठोस कदम से?

Saturday, November 29, 2008

खबरनामा: आखिर यह तांडव कब तक ?

खबरनामा: आखिर यह तांडव कब तक ?
भड़ास: तांडव और नहीं
सच का सच:तांडव और नहीं
NRAI News : आखिर यह तांडव कब तक?

भड़ास: तांडव और नहीं

भड़ास: तांडव और नहीं
खबरनामा:आखिर यह तांडव कब तक ?
NRAI News: आखिर यह तांडव कब तक?

After terror Strikes in city Test match shifted to Chennai

The second Test match between India and England scheduled Dec 19-23 in Mumbai has been shifted to Chennai. After terror strikes in the Mumbai England team have already cut short the seven-match ODI series and are decided to take off for home on Saturday morning.
To protect the two-match Test series, form terror attack, the Board of Control for Cricket in India (BCCI) decided to shift the final Test out of Mumbai to Chennai.
The England Cricket Board (ECB) has assured, that the team would return to play Test series starting in Ahmedabad on Dec 11.
“It’s very, very real and emotions are very high. It’s a sensitive time. The home environment is where the players should be for a few days. The Test matches are in place and, unless we get safety advice to the contrary, they will be going ahead,” said ECB managing director Hugh Morris.
Amit Sharma

Sunday, November 16, 2008

मासूम गायों की निर्मम हत्या

14 नवंबर की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने लगभग 15 गायों को बेरहमी से मार कर उन्हें भलस्वा डेरी (निकट करनाल बाई-पास) के पास के एक खेत में फ़ेंक दिया। अगले दिन जब वे उन हिस्सों को उठाने आये परन्तु कुछ लोगों के आ जाने से वे लोग वहाँ से भाग खड़े हुए। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहँच गयी और वहाँ मौजूद भीड़ को घटनास्थल से दूर ले जाने के लिए पूरे इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया। पुलिस ने मीडिया को भी वहाँ जाने की इज़ाज़त नहीं दी। पुलिस-कर्मी गायों के शवों को ट्रकों में डाल कर ले गए। भीड़ को शान्त करने के लिए वहाँ मौजूद पुलिस अधिकारी ने 24 घन्टे के अंदर दोषियों का पता लगाने का आश्वासन दिया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के आनुसार, वे लोग शायद गायों के हिस्सों को बेचना चाहते थे इसीलिए उन लोगों ने गायों के शत-विशत शवों को उस खाली खेत में फ़ेंक दिया होगा। घटनास्थल पर चारों ओर खून व गायों के अंग बिखरे पड़े थे।
अब देखना यह है कि चुनावों के समय हुई यह घटना क्या परिणाम ले कर आती है??

Wednesday, November 5, 2008

क्या साध्वी का साथ देना सही?

उमा भारती का साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के पक्ष में सामने आना तथा संघ का भी दबी ज़ुबान में उनका साथ देना कुछ संदेहास्पद लगता है। विहिप नेता श्री प्रवीण तोगड़िया के अनुसार कांग्रेस सरकार इस्लामिक आतंकवाद के संरक्षण के लिए हिन्दुओं को बदनाम कर रही है। उन्होंने यह बात 24 अक्तूबर को हुई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की गिरफ़्तारी के संदर्भ में कही। इसी बीच जन-शक्ति पार्टी अध्यक्ष उमा भारती ने साध्वी को चुनाव में टिकट देने की भी पेशकश की।
साध्वी प्रज्ञा सिंह को 29 सितंबर को मालेगांव और मडासा में हुए सिलसिलेवार बम-धमाकों के संदिग्ध के तौर पर गिरफ़्तार कर 17 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इन बम-धमाकों के सिलसिले में श्याम भवरलाल साहू और शिव नारायण सिंह को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
क्या आतंकवाद का धार्मिकरण उचित है? क्या बम धमाकों के आरोपियों का साथ देना उचित है? क्या हमारी राजनीति का स्तर इतना गिर चुका है कि अब बम धमाकों के आरोपियों को देश की बागडोर सौंप रहें हैं? अब इन यक्ष प्रश्नों का उत्तर तलाशने की आवश्यकता है!