Thursday, December 4, 2008

वो पुराने ज़ख्म : भोपाल गैस त्रासदी

आज से 24 साल पहले 2-3 दिसंबर 1984, को लगभग 40 टन Methyl Isocyanate गैस के कारण हुई अब तक की सबसे बड़ी मानव-निर्मित तबाही के निशान आज भी अमिट हैं। ऐसी तबाही जिसका असर आज भी देखा जा सकता है। त्रासदी की रात लगभग 3000 लोग मारे गये थे जिनकी संख्या अब लगभग 35000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। इस त्रासदी में घायलों की संख्या तो लाखों में है जो आज तक इस पीड़ा को सहन कर रहे हैं। समभावना ट्रस्ट (जो कि एक क्लिनिक चलाती जहाँ इस त्रासदी के पीड़ितों का इलाज़ होता है) द्वारा कराई गयी स्ट्डी के अनुसार, जो बच्चे इस त्रासदी के शिकार माता-पिता से हुए है उनके शरीर के उपरी हिस्से का विकास निराशाजनक रूप से निचले हिस्से की तुलना में कम है।
आज सुबह एक सर्व धर्म प्रार्थना सभा बारकुटालाह भवन में त्रासदी पीड़ितों की याद में रखी गयी थी परन्तु मुख्यामंत्री शिवराज सिंह चौहान और गवर्नर बुल्लम जाखर इस सभा में उपस्थित नहीं थे।
आज सभी पार्टियाँ मुम्बई में हुए हादसे पर राजनीति कर रही हैं ये कोई नई बात नहीं है। सम्भावना ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सतिनाथ सारांगी के अनुसार, Indian Council of Medical Reseach(ICMR) ने त्रासदी के बाद लगभग 18 स्ट्डी शुरू की थी परन्तु 1994 तक सभी स्ट्डी बंद कर दी गई जिनका नतीजा आज तक नहीं आया। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ समय के पश्चात ये नेता मुम्बई हादसे को भी भुला दें और उन लोगों की सुध लेना ही भूल जाए जो इस हमले से प्रभावित हुए हैं? कहीं यह फ़ैसले लेने में दिखाई जा रही तेज़ी एक दिखावा मात्र तो नहीं? आओ दुआ करें कि इस बार हमारे नेता अपना समय वोटों की राजनीति की बजाय जनता के दुख बाँटने में लगाऐंगे।

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